आत्मकल्याण केंद्र पुर्णतः आत्मिक विकास का केंद्र है यहाँ केवल मनुष्य के आन्तरिक एवं बाहरी चरित्र आचरण एवं व्यव्हार कुशलता को नैतिक बनाने का प्रयास किया जाता है  इसके लिए योग एवं प्राचीन संस्कारों के आधार पर जीवन को मानवीय मूल्यों के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जाता है ताकि समाज में एक पूर्ण स्वस्थ्य नागरिक पैदा हो सके

     आत्मकल्याण केंद्र  का मानना है कि एक स्वस्थ्य समाज और इस समाज में नयी पीढ़ी के बच्चों का नव-अंकुर तभी अंकुरित और पल्लवित हो सकता है जब हमारा समाज नैतिक और अध्यात्मिक हो इसके लिए हम अपने स्नेहिल मित्र भक्तो का नियमित प्रशिक्षण करते रहते है और वे लोग समाज में घूम-घूम कर नैतिक वातावरण बनाते है ताकि समाज से अनाचार, दुराचार, अंध परम्परा व धार्मिक एवं रूढिगत विकार आदि नष्ट हो सके

        आत्मकल्याण केंद्र मूलतः समाज में विशेषकर पीड़ित उपेक्षित और झुग्गी झोपड़ी में रहनेवाले, सड़को, फुटपाथों और बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर भटकते बच्चो को समेटकर उन्हें "हमें भी पढाओ" नि:शुल्क शिक्षा केंद्र में पढ़ाने का अभियान पुरे देश में चल रहा है इसमें हमें समाज के सभी वर्गों का सहयोग चाहिए इसके साथ ही नशा विमुक्ति, नारी जागरण और अपने ही घरों में उपेक्षित जीवन जीनेवाले बुजुर्गो को एक सुन्दर व सम्मानपूर्ण जीवन जीने का वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में जोड़ा जा सके

        आत्मकल्याण केंद्र शिक्षा को पूर्ण नैतिक एवं व्यावहारिक बनाने के पक्ष में है ताकि आज जो समाज से हमारे ही बच्चे टूट कर अलग खड़े हो रहे है, उन्हें पुनः अपने परिवार के मुख्यधारा में लाया जा सके

       आत्मकल्याण केंद्र मानता है कि मनुष्य का जीवन अगर पुर्णतः नैतिक और अध्यात्मिक बन जाये तो सारा समाज नैतिक और अध्यात्मिक बन जायेगा  इसलिए हम प्रत्येक व्यक्ति का विकास चाहते है  इसलिए हमारा नारा है-

"आत्मकल्याण : सर्वकल्याण"

तो आइये , हम सब मिलकर आत्मकल्याण के आत्मिक विकास कार्यक्रम में भाग ले और संकल्प ले कि हम समाज के प्रत्येक व्यक्ति को चिंता, तनाव, दुःख, मानसिक पीड़ा, आपसी मतभेद को नष्ट कर सभी लोगो के बीच वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र प्रचारित करेंगे

"आत्मानन्दम परम सुखम्"

        अतिथि सेवा प्रभार : बाहर से आये अतिथियों एवं अन्य भक्त मित्रो के लिए आश्रम में पूर्ण आवासीय सुविधा उपलब्ध है

 

 
 

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